Monday, June 20, 2011

Translated Poems (Rekindled)

 प्रज्वलित 
 बज रहा है धानो का गीत आज रात्रि,
और समीप है आखेटक के लिए प्रजवलित चन्द्र
स्नान कर उसकी आभा में प्रदर्शित करते हुए
आदि कालीन नृत्य उस सभा का
जहाँ कृषक अर्पण करता है जो बोया था उसने धरा और रोपण की देवी को

में श्रवण करता हूँ उनकी शांत मंत्रध्वानियाँ और गीतों को
कथा कारों की अंतिम कथा
असंस्कृत आगमन के साथ
ताल में झूमते शून्य बना गतीवर्धित
में देखता हूँ उनकी प्रकाश्पुन्जित एवं जीर्ण काया
और ज्वाला जो अपनी ही श्वासों में विलुप्त हो चुकी है 

ये  अधार्मिक रिवाज़, आरंभिक आवेश स्पर्श कर जाते हैं मुझे स्मृतियों में
नहीं कोमलता से नहीं
एक कवि की वाणी को जो भीतर है मेरे 

यह  धनो का गीत जो बज रहा है आज रात्र
दूर नहीं है किसी कृषक के चन्द्र से 
आलिंगन में बाँध लेगा ये मेरे पौरुष को
और वे सुनेंगे मुझे चीत्कारते हुए मेरी आखेट से भरी कवितायेँ
 -
(पंगासिनान के कवि संतिअगो विल्लाफनिया की कविता 'रिकिनडलड ' से अनुवादित)


 


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