बेपरवाह
मैं बदमाश हूँ
ढूंढो मुझे झुग्गियों में पयाटास की
या फिर लोकल ट्रेन के भीतर
दफना दो मुझे चीथड़ों में
या फिर कागज के कम्बलों में रात को
जब में स्वप्न देखता हूँ एक घर का
अपना कहने के लिए
तैरता हूँ मैं दूषित नदियों में
मनुष्यों के द्वारा गन्दी की गयी
जिनकी आत्माएं पासिंग नदी से भी काली हो गयी हैं
चलता हूँ मैं मनीला की गलियो की
सघन हवा में
धुआं डकारती गाड़ियों से
चट्टानों सी ऊंची
इकठ्ठा करता हूँ गन्दगी
शहर की
शहर जो औजीयां अस्तबलों से भी गन्दा है
बारिश के दिनों में
दिन की रौशनी में यूँ ही चलते हुए
मालों में
देखता हूँ गनिकाएं व्यापार करती देह का
चंद पैसों के लिए
आह!
यह क्या भविष्य देखता हूँ मैं
-संतिअगो विल्लाफनिया की कविता ' फॉर अस हु ड़ू नोट केयर' से अनुवादित